दुनिया में तेजी से बढ़ रही है भारतीय अर्थव्यवस्था, अगले दो वर्षों तक 6.7% वृद्धि दर की उम्मीद : विश्व बैंक

विश्व बैंक की ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2025-27 तक 6.7% की विकास दर के साथ विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा।

नई दिल्ली। भारत आने वाले दो वित्तीय वर्षों तक दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी रहेगी। विश्व बैंक की जनवरी 2025 की ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स (GEP) रिपोर्ट के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था अगले दो वित्तीय वर्षों 2025-26 और 2026-27 में 6.7% की स्थिर दर से बढ़ने की संभावना है। यह वृद्धि दर वैश्विक औसत 2.7% की तुलना में कहीं अधिक है जो भारत की आर्थिक मजबूती और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में बढ़ती भूमिका को दिखाती है।

सेवा और विनिर्माण क्षेत्र का योगदान

रिपोर्ट में भारत की इस मजबूत वृद्धि का श्रेय सेवा क्षेत्र की मजबूती और विनिर्माण क्षेत्र में आए सुधार को दिया गया है। सरकार की नीतियां, जैसे बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण, टैक्स प्रणाली का सरलीकरण, और उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (PLI) योजनाएं, घरेलू विकास को तेज कर रही हैं। इसके अलावा, भारत की आर्थिक वृद्धि ऐसे समय में हो रही है जब चीन जैसे बड़े प्रतिस्पर्धी की वृद्धि दर 2025 में 4% तक धीमी पड़ने का अनुमान है।

आईएमएफ ने भी भारत की विकास दर को स्थिर बताया

हाल ही में जारी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (WEO) रिपोर्ट भी भारत की स्थिर और मजबूत आर्थिक स्थिति की पुष्टि करती है। आईएमएफ ने 2025 और 2026 के लिए भारत की विकास दर 6.5% रहने का अनुमान जताया है। दोनों रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करतीं हैं कि भारत न केवल वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहा है बल्कि इनसे उभरकर आर्थिक विकास में अग्रणी बना हुआ है।

सरकारी योजनाओं का समर्थन

केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाएं जैसे पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान, स्टार्टअप इंडिया, और उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (PLI) योजनाएं, भारत को वैश्विक आर्थिक नेतृत्व की ओर ले जा रही हैं। ये पहल न केवल बुनियादी ढांचे और नवाचार को बढ़ावा दे रही हैं बल्कि विनिर्माण और डिजिटल अर्थव्यवस्था में नए अवसर भी पैदा कर रही हैं। विश्व बैंक के ग्लोबल इकोनाॅमिक प्राॅस्पेक्ट्स (GEP) रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में निजी उपभोग में तेजी आने की संभावना है जो मजबूत श्रम बाजार, आसान ऋण उपलब्धता और कम मुद्रास्फीति से प्रेरित होगी। साथ ही, निवेश वृद्धि भी जारी रहेगी जिसे निजी क्षेत्र के निवेश, बेहतर कॉर्पोरेट बैलेंस शीट और अनुकूल वित्तीय स्थितियों का समर्थन मिलेगा।

भारत की आर्थिक ताकत

वहीं, वैश्विक परिदृश्य में उभरती अर्थव्यवस्थाओं का योगदान तेजी से बढ़ा है। 2000 में वैश्विक जीडीपी में इनका हिस्सा 25% था, जो अब 45% तक पहुंच गया है। भारत की यह उपलब्धि सरकार की दूरदर्शी नीतियों, डिजिटल परिवर्तन, और समावेशी विकास के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का परिणाम माना जा रहा है।

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